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सार्थकता नहीं इसमें जीवन की ,कि बस अपने लिए ही जिए जाओ
हजारों सवालों को देखकर भी अनदेखा किये जाओ
सवाल मासूमो के कुचलते बचपन का ,
सवाल बुजुर्गो से महरूम होते आँगन का |
सवाल नारी की लुटती इज्जत का
सवाल अपने अधिकारों के लिए उसकी चाहत का |
सवाल कुर्सी से चिपके नेता का
सवाल जनता के पर जबाब न कोई देता |
सवाल कश्मीर का सवाल बोडो का
कही वोटों का ,तो कही नोटों का |
सवाल अन्ना के उन सवालों का ,
सवाल रामलीला मैदानों का |
सवाल बेरोजगार स्नातक का ,
सवाल अशिक्षा दूर करने की चाहत का |
इन सवालों की तरह और भी हैं सवाल कई ,
जिनके उत्तर हर इक नजर तलाश रही |
हम सब को मिल के ही निकलने होंगे कुछ हल ,
तभी दे पायेगे नयी पीढ़ी को खुशियों के पल ,
कुछ नए लोग ,नए विचार, नयी क्रांति लायें |
क्यों न मिलकर हम सब एक नया भारत बनायें |
हजारों सवालों को देखकर न अनदेखा किया जाये |
आओ इनका भी कोई हल ढूढ़ लिया जाये
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