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.. हम अकेले ही बढ़ते जायेंगे

Sukirti
Sukirti
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दरख्तों के बीच हम अकेले ही बढ़ते जायेंगे
हमें नहीं किसी से डरने की जरुरत है |

हममें भी आसमान को छूने की कुव्वत है ,
आसमान के पार जाएँ ये हमारी भी चाहत है |

इस जहाँ की खुशियों पर हमारा भी तो हक बराबर है ,
हमारे वजूद से ही तो इस जहाँ में रौनक है |

एक नजर प्यार से हमें देखो तो जरा ,
फिर देखना हमारी उडान कहाँ तक है |

हमें नहीं है हद से ज्यादा की दरकार मगर
मिले बराबर का हक़ ये ही  हमारी चाहत है |

हम है अगर तुम्हारे बिना अधूरे से ,
वजूद तुम्हारा भी कहाँ हमारे बिना पूरा है|

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