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करवाचौथ …प्यार के इजहार का ब्रत…….

Sukirti
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करवाचौथ का ब्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष में चौथ को रक्खा जाता है | यह ब्रत महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र व् रक्षा व् उन्नति के लिए रखती है |मैंने बचपन से ही अपनी दादी ,चाची, माँ ,भाभी सभीको यह ब्रत रखते देखा है | तब में और आज में बहुत अंतर आ गया है | उस समय बेहद सादगी और श्रद्धा से ये ब्रत रक्खा जाता था |

मुझे याद नहीं आता कभी भी उन सबको भूख या प्यास से अधीर होते देखा हो , लेकिन एक बात मुझे अभी भी समान लगती है | शाम होते ही वो सब भी अच्छे ससज-संवर कर तैयार होती थी| उस समय मेरे मन में हमेशा एक सवाल घुमड़ता रहता था- क्या ब्रत रखने से सच- मुच उनके पतियों की उम्र बढ़ जायेगी क्या यह ब्रत हर जगह हर तरह से उनके पतियों की रक्षा करेगा|

इसी सवाल को मन में लिए हुए मैं बड़ी हुई| आज मैं ये महसूस करती हूँ की इस ब्रत का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही मेरे अपने विचार ये हैं की ये ब्रत एक पत्नी का पति के प्रति अपने प्रेम के इज़हार करने का तरीका है और ये बात भी सिद्ध हो चुकी है की आप जिस बात की इच्छा बहुत ज्यादा दिल से करता हैं, वो इच्छा पूर्ण होती ही है और जिसे हम प्यार करते हैं उसके लिए यही सबकी प्रार्थना करते हैं की वो स्वस्थ्य रहे, जीवन के हर क्षेत्र में उन्नत्ति करे, प्रस्सन्न रहे | यदि ये सब होगा तो वो स्वतः ही अपने आस पास प्यार बाटेंगे| एक पत्नी अपने पति से सबसे ज्यादा भावनात्मक संबल की अपेक्षा करती है और जहाँ तक मुझे लगता है करवाचौथ जैसे त्यौहार भावनात्मक जुड़ाव और गहरा कर देते हैं|

आज कल तो हर त्यौहार का व्यावसायीकरण हो गया है| कल बाजार गयी तो मेहँदी की खुशबू से सार बाजार महक रहा था| मेहँदी वाले दुकाने सजा कर बैठे थे| महिलाओं की लम्बी लाइन लगी थी| एक व्यक्ति पर्ची काट रहा था| एक हाथ की मेहँदी लगाने के ४००-५०० रुपये तक ले रहा था | कर्वे भी कयी तरह के थे| मुझे याद है पहले भी चाची लोग करवे ऐपन (चावल पीस कर बनाया गया घोल) व रंगों से सजाते थे| अब कौन कष्ट उठाये जब रंगे-रंगाये करवे उपलब्ध हैं| करवाचौथ को सुबह स्नान करके पूजा करके पूरे दिन निर्जल ब्रत रखा जाता है और शाम को पूजा करके बड़ी बुज़ुर्ग कहानी सुनाती है| जिसमें करवाचौथ ब्रत के महात्म्य और उसके द्वारा फलित लोगों कथाएँ सुनाई जाती हैं | रात में चन्द्रमा को अर्ध्य देकर ब्रत तोडा जाता है|

सबसे ज्यादा मुश्किल और आनंदायक चन्द्रमा का इंतज़ार करना लगता है| जब पति और बच्चे व्यग्र होकर चन्द्रमा देखने जाते हैं और ना निकलने पर निराश हो जाते हैं, तो उस समय मुझे बहुत मजा आता है| अर्घ्य के बाद पति के हाथों से पानी पीकर ब्रत खोलना वाकई मन को एक सुखद अनुभूति से भर जाता है| वैसे तो मेरे पति देव रसोई में अपना हुनर नहीं दिखा पाते पर उस दिन वो खुद चाय बनाकर मुझे और सासू माँ को पिलाते हैं| सच बहुत अच्छा लगता है| वाकई ये ब्रत शारीरिक रूप से तो थका देता है पर मानसिक रूप से हमें और दृढ कर जाता है हमारी आस्थाओं के प्रति, मान्यताओं के प्रति और प्यार पति के प्रति………..

आप सबको करवाचौथ की शुभकामनाएं!!!

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