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भीख – एक समस्या

Sukirti
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जैसे ही कार चौराहे पर पहुची ,सिग्नल हो गया कुछ ही पलों में एक १७ -१८ साल की लड़की
गोद में एक छोटा बच्चा लिए पास आई | गंदे मैले कुचैले कपड़ों में ढकी वह बेहद दयनीय मुद्राएं
बना रही थी | गोद का बच्चा भी जैसे सब समझ रहा था |उसकी आँखें भी जैसे कुछ कह रही थी |
;” उस लड़की ने माथे पर हाथ लगा कर भीख मांगने के लिए हाथ फैला दिया|

ताज्ज़ुब तब हुआ जब गोद वाले बच्चे ने भी हाथ माथे से लगा कर भीख मांगने
के लिए हथेली फैला दी |मन अंदर तक कही दुःख गया |फिर ये सोचा की बच्चे तो वही सीखते है ,
जो अपने आस पास देखते है |बहुत मन किया की इन्हे कुछ ज्यादा पैसे दे दू ताकि ये कुछ अच्छा
खा सकें |पर तभी मष्तिष्क ने सरगोशी की कि क्या पता ये पैसे ये प्रयोग कर भी पाएंगी या कोई
और ले जायेगा |आखिर दिल की मानते हुए मैंने उन्हें रूपये दे ही दिए |

अक्सर पत्रिकाओ व समाचार पत्रों में पढ़ती रहती हूँ फलां जगह भीख मंगवाने वाला गैंग पकड़ा गया वगैरह-वगैरह,
इसलिए उन्हेंररुपये देने के सख्त खिलाफ हूँ |वैसे भी मै खाने पीने की वस्तुएं या कपडे आदि देने में ज्यादा
सहज रहती हु ,ताकि वे उसे प्रयोग कर सकेंबहुत सोचती रही इस बारे में पर ये समस्या इतनी गम्भीर है की
इसके लिए सम्मिलित प्रयास जरुरी है |एक बार मैंने ये गौर किया की इनके क्षेत्र भी शायद बटे रहते है |
मैंने तो मिलती जुलती शक्ल के तीन चार भिखारी अलग अलग चौराहों पर देखे ,शायद वो भाई रहें होंगे |

मै इतनी भ्रमित थी की ये एक भिखारी इतनी जल्दी दूसरे चौराहे पर कैसे पहुच जाते है |मेरे शहर में कई ऐसी
घटनाएं सामने आई ,जिसमे जब इन लोगों को को पैसे आदि देने के लिए लोगों ने कार की खिड़की खोली तो
उन्होंने गन दिखा कर उन्हें लूट लिया| ऐसी घटनाओं से उनके प्रति दयाभाव भी कम हो जाता है ,और डर की
भावना बढ़ जाती है |लगता है ये भिखारी है या लुटेरे|
वैसे भी अगर कोई आत्मसम्मान की परवाह न करे तो ,बिना मेहनत के कुछ कमाने के लिए भीख मागने से
आसान क्या होगा | पर ये हमारे समाज पर तो धब्बा ही है न ………

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